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आचार्य महाश्रमण “साहित्य समीक्षात्मक संगोष्ठी” में शामिल हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्य क्षेत्र संघचालक

छत्तीसगढ़ के 3 प्रमुख विश्वविद्यालयों के कुलपति और विभागाध्यक्ष की रही सहभागिता

रायपुर, 6 अक्टूबर 2024, aipha news
छत्तीसगढ़ के तीन प्रमुख विश्वविद्यालय पं. रविशंकर प्रसाद शुक्ल विश्वविद्यालय, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय व कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय की सहभागिता से अणुव्रत समिति, रायपुर द्वारा श्रीमद भगवत गीता एवं उत्तराध्ययन सूत्र आधारित आचार्य श्री महाश्रमण “साहित्य समीक्षात्मक संगोष्ठी” का आयोजन रविवार को पटवा भवन, टैगोर नगर में आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री सुधाकर के सान्निध्य में किया गयाI

संगोष्ठी में पंडित रविशंकर प्रसाद शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सच्चिदानंद जी शुक्ल, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल एवं श्री कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के भाषा विभागाध्यक्ष डॉ. नरेन्द्र त्रिपाठी ने आचार्य श्री महाश्रमण जी की कृतियों क्रमशः “विजयी बनो”, “संपन्न बनो” व “सुखी बनो” पर अपनी आध्यात्मिक समीक्षा प्रस्तुत कीI संगोष्ठी में मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्य क्षेत्र संघचालक डॉ. पूर्णेन्दु सक्सेना व विशिष्ट अतिथि विद्या भारती संस्थान के प्रादेशिक सचिव विवेक सक्सेना थेI

कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रॉनिक प्रबंधन एवं भाषा विभाग अध्यक्ष नरेन्द्र त्रिपाठी ने “सुखी बनो” कृति पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुखी बनो कृति जो भगवत गीता एवं उत्तराध्ययन सूत्र पर आधारित है और यह जीवन जीने की कला सिखाती हैI
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति गिरीश चंदेल ने “संपन्न बनो” कृति पर समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा स्थितप्रज्ञता कर्मवाद में विश्वास, निष्काम कर्म, श्रद्धा की सुदढता आदि ऐसे अनेक सूत्र से आचार्य जी हमें “संपन्न बनों” की प्रेरणा देते हैंI
पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय के कुलपति सच्चिदानंद शुक्ल ने “विजयी बनो” कृति पर अपने उद्बोधन में कहा कि इस पुस्तक का कम से कम प्रतिदिन एक पृष्ठ अवश्य पढ़ें, यह कृति जीवन में “विजयी बनो” की दिशा में आगे बढ़ने के लिए एक प्रकाश स्तंभ हैI
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्य क्षेत्र संघ चालक डॉक्टर पूर्णेन्दु सक्सेना ने कहा कि आचार्य महाश्रमण जी ने इन तीन कृतियों से “सुखी बनो” “संपन्न बनो” “विजय बनो” का आशीर्वाद दिया है, यह तीन आशीर्वाद हमारी आत्मा का कल्याण कर सकते हैं
मुनिश्री सुधाकर ने संगोष्ठी मे विचार रखते हुए कहां आचार्य महाश्रमण महान साहित्यकार है उनके साहित्य से जीवन की दशा और दिशा बदल सकती है, युगीन समस्याओं का समाधान भी उनके साहित्य से प्राप्त होता है उनके साहित्य में कृष्ण का माधुर्य, राम की मर्यादा, महावीर की साधना, कबीर की क्रांति, मीरा की भक्ति को देखा जा सकता हैI उन्होंने कहा कि संभवतः यह पहला अवसर होगा कि किसी जैन आचार्य की साहित्य पर आधारित साहित्यिक समीक्षा संगोष्ठी में तीन ख्याति प्राप्त विश्वविद्यालय की सहभागिता रही हो।
संगोष्ठी की संयोजना में मुनि श्री सुधाकर जी की प्रेरणा से रमेश गांधी व अभिषेक गांधी की महत्वपूर्ण भूमिका रही, कार्यक्रम
संचालन सूर्य प्रकाश बैद, मंगलाचरण श्रीमती हीरावत, स्वागत स्वर कनक चंद जैन व आभार मंत्री मनीष सिंघी ने किया।

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