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पिछली काउंसिलिंग समिति की लापरवाही को शासन ने गंभीरता से लेते हुए सभी पुराने सदस्यों को काउंसिलिंग समिति से बाहर किया
नई काउंसिलिंग समिति की बैठक हुई: 5 अगस्त से ऑनलाइन रजिस्ट्रेसन आरम्भ होगा
छात्र संगठनों की मांग: काउंसिलिंग के हर राउंड के बाद ऑनलाइन पंजीयन किया जाये ? व्यापम के पास है सभी अभ्यर्थियों के मोबाइल नंबर: एस. एम. एस. से भेजी जाये सभी सूचनाएं, हर घर में नहीं आता है अख़बार
रायपुर, 30 जुलाई 2022. aipha News
संचालक चिकित्सा शिक्षा डा विष्णु दत्त से मिली जानकारी अनुसार बीएससी नर्सिंग में प्रवेश हेतु आयोजित नर्सिंग प्रवेश परीक्षा के संशोधित परिणाम अगले सप्ताह जारी किये जायेंगे जो कि परसेंटाइल आधार पर होंगे. ज्ञात हो कि इंडियन नर्सिंग कौंसिल, नई दिल्ली ने नर्सिंग प्रवेश नियमों के सम्बन्ध में जारी राजपत्र में परसेंटाइल आधार पर परिणाम एवं मेरिट सूचि बनाने के निर्देश दिए थे लेकिन संचालनालय चिकित्सा शिक्षा की पूर्व काउंसिलिंग समिति के सदस्यों ने नियमों और दिशा निर्देशों की लापरवाही पूर्वक अनदेखी करते हुए व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) को नर्सिंग प्रवेश परीक्षा आयोजित करने के लिखित पत्र में प्रतिशत के आधार पर परिणाम जारी करने के निर्देश दिए थे. जिसके परिणाम स्वरुप 33658 अभ्यर्थियों में मात्र लगभग 290 अभ्यर्थी ही व्यापम द्वारा प्रवेश के पत्र घोषित किये गए थे जिससे अधिकांश अभ्यर्थी अपने भविष्य को लेकर चिंतित और हताश थे.
नर्सिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश सम्बन्धी जानकारी के संचालनालय चिकित्सा शिक्षा की वेब साईट https://www.cgdme.co.in/ का नियमित अवलोकन करते रहें |
नर्सिंग काउंसिलिंग समिति: डा देवप्रिय रथ (9861270470) को बनाया गया काउंसिलिंग समिति का अध्यक्ष, सदस्य: प्रवीण बंजारे, श्रीमती नीतू त्रिपाठी, सुश्री बेला चंद्राकर (9977019152), श्रीमती शोभी संजीव, श्रीमती ज्योति ठाकुर (संचालक चिकित्सा शिक्षा: डा विष्णु दत्त 9425501424) |
आइफा न्यूज़ द्वारा छात्र छात्राओं की इन गंभीर समस्याओं को लगातार संचालक चिकित्सा शिक्षा सहित प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, सचिव चिकित्सा शिक्षा को प्रस्तुत किया गया था. दूसरी ओर नर्सिंग कॉलेजों द्वारा संचालक चिकित्सा शिक्षा से मिलकर इस पर आपत्ति और रोष प्रकट करते हुए नियमानुसार परसेंटाइल आधार पर परिणाम और मेरिट सूची जारी करने की मांग की गई थी उनका यह भी कहना था कि परिणाम में पात्र या अपात्र नहीं लिखा जाना चाहिए. नर्सिंग कॉलेजों का तर्क है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा WP(C) 267/2017 में अपने आदेश में कहा गया है कि काउंसिलिंग उपरांत सीटें रिक्त रहने पर प्रवेश से वंचित रह गए अभ्यर्थियों की प्रतीक्षा सूची कॉलेजों को सौंप दी जाये. इसके बाद भी सीटें रिक्त रहने पर शासन द्वारा परसेंटाइल की न्यूनतम रैंकिंग में और छूट दी जाती है. प्रवेश के इच्छुक अभ्यर्थियों के होते हुए सीटों को रिक्त रखना राष्ट्रीय क्षति है इस सिद्धांत पर सीटें रिक्त रहने पर अंत में न्यनतम अर्हता के आधार पर उन अभ्यर्थियों को प्रवेश दिए जाने की छूट दी जाती है जिन्होंने नर्सिंग प्रवेश परीक्षा नहीं दी होती है तब प्रवेश परीक्षा के परिणाम में पात्र /अपात्र लिखने का क्या औचित्य है ? इससे छात्र छात्राओं का मनोबल टूटता है और वे नर्सिंग शिक्षा प्राप्त कर जनसेवा करने के उद्देश्य को त्यागकर अपनी रूचि के विरुद्ध अन्य अव्यवसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने को मजबूर हो जाते हैं.