छत्तीसगढ़: जैन संतों के लिए अमित बघेल की घोर निंदनीय भाषा, कड़ी कार्यवाही की मांग
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जैन समाज के नागरिकों को मंच से भिखमंगा कहा गया, 28 मई को देंगे राज्यपाल को ज्ञापन
छत्तीसगढ़ का जैन समाज छत्तीसगढ़ क्रांति सेना के प्रदेश अध्यक्ष अमित बघेल की जैन संतों एवं सम्पूर्ण जैन समाज के लिए अभद्र, घटिया और आपत्तिजनक टिप्पणियों से आहत और उद्वेलित है. जैन समाज की ओर से गजराज पगारिया, महेंद्र कोचर, विजय चोपड़ा, अतुल जैन इत्यादि ने घोर निंदा करते हुए अमित बघेल के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की मांग के साथ थाना कोतवाली एवं थाना सिविल लाइन रायपुर में शिकायत दर्ज करवाई है एवं नगर पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन भी दिया है।
शिकायत के अनुसार छत्तीसगढ़ क्रांति सेना के प्रदेश अध्यक्ष अमित बघेल द्वारा जैन संतों के लिए बहुत ही घटिया शब्द कहते हुए घृणा फ़ैलाने की कोशिश की गई है. वायरल वीडियो में अमित बघेल को मंच से घृणित शब्द कहते हुए सुना जा सकता है जिसमे जैन समाज के लोगों को भिखमंगा तक कहा गया है.
बताया जाता है कि जामढ़ी पाटेश्वरधाम जिला बालोद छतीसगढ़ में स्थित प्राचीन मंदिर में 1 मई 2022 को हुई घटना के विरोध में छत्तीसगढ़ क्रांति सेना के आह्वान पर जबरन बंद कराया जा रहा था, व्यापारियों द्वारा बंद करने से मना किया तो उनसे मारपीट की गयी व मंच से अमित बघेल द्वारा ना सिर्फ जैन मुनियों के प्रति अपशब्द कहे गए.
अमित बघेल द्वारा छतीसगढ़ क्रांति सेना की आड़ में शांत छत्तीसगढ राज्य को अशांत करने का कार्य किया जा रहा है जिसकी शिकायत सर्व हिन्दू समाज व जैन समाज के पदाधिकारियों एवं नागरिकों ने थाना कोतवाली रायपुर व थाना सिविल लाइन व नगर पुलिस अधीक्षक से की है एवं दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करने की मांग की है । इसी कड़ी में जैन समाज के लोग बड़ी संख्या में शनिवार 28 मई 2022 दोपहर 12 बजे राज्यपाल को ज्ञापन देने दादाबाड़ी एम.जी. रोड से रवाना होंगे.
डोंगरगढ़ से प्राप्त एक अन्य प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि धर्म अपनी अपनी आस्था का विषय है, हो सकता है हम किसी धर्म की धार्मिक पद्धति से सहमत न हों पर हम उसकी धार्मिक पद्धति पर रोक नहीं लगा सकते न ही हम उसकी धार्मिक पद्धति की सार्वजनिक आलोचना कर सकते हैं, धर्मावलम्बीयों को अपनी धार्मिक पद्धति के अनुसार अपनी धार्मिक क्रिया करने का अधिकार है. हम अमित बघेल द्वारा बालोद की सभा में जैन समाज के विरोध में की गयी आलोचना की घोर निन्दा करते हैं और छत्तीसगढ़ शासन से मांग करते हैं कि ऐसे धार्मिक उन्माद फैलाने वाले व्यक्ति के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जावे ताकि छत्तीसगढ़ के सर्वधर्म सदभाव की प्राचीन प्रथा सदा सर्वदा अक्षुण्ण बनी रहे और निर्भय होकर सभी धर्म के धर्मावलम्बीय अपनी अपनी धार्मिक क्रियायों को अपनी धार्मिक पद्धति के अनुसार स्वतंत्र रूप से निर्वहन कर सकें ।