राजनांदगांव: गुरुवार को ही रहेगा साप्ताहिक बन्द
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9दिसंबर2020, आयुक्त नगर पालिक निगम,राजनांदगांव द्वारा राजनांदगांव नगर पालिका क्षेत्र में समस्त व्यापारिक प्रतिष्ठान, दुकानों को गुरुवार को ही साप्ताहिक बंद रखे जाने का आदेश जारी किया गया है, आदेश क्रमांक 498 दिनांक 9 दिसंबर 2020 में यह भी स्पष्ट किया गया है कि आवश्यक सेवाएँ दूध डेयरी, पेट्रोल पम्प, एल पी जी गैस एजेंसी, मेडिकल स्टोर्स अपने निर्धारित समय अनुसार गुरुवार को खुले रहेंगे
आयुक्त नगर पालिक निगम ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि व्यापारिक महासंघ के ज्ञापन में गुरुवार को ही साप्ताहिक बंद रखने की मांग की गई है अतः व्यापारिक हितों को संरक्षित रखते हुए छत्तीसगढ़ दुकान एवं स्थापना पंजीयन अधिनियम 1958 (गुमास्ता अधिनियम) के अंतर्गत पंजीकृत समस्त व्यापारिक प्रतिष्ठान एवं दुकानें प्रत्येक गुरुवार को ही बंद रहेगी
समस्त दुकानों एवं व्यापारिक प्रतिष्ठानों को कोरोना संक्रमण से बचाव सम्बन्धी पूर्व में जारी दिशा निर्देशों का पालन अनिवार्य होगा, उल्लंघन करते पाए जाने पर राष्ट्रिय आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 और महामारी अधिनियम 1897 एवं भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 188 के तहत कार्यवाही की जाएगी
ज्ञात हो कि पिछले कई माह से साप्ताहिक बंद को लेकर शहर के व्यापारी दो फाड़ हैं, व्यापारी संगठन के एक पदाधिकारी ने नाम प्रकाशित न किये जाने के आग्रह के साथ बताया कि अधिकांश व्यापारी रविवार बंद ही चाहते हैं उनके तर्क हैं कि देश के अधिकांश शहरों में साप्ताहिक अवकाश रविवार होता है क्योंकि बच्चों के स्कुल कॉलेज भी रविवार को अवकाश होने से व्यापारी भाई अपने परिवार के साथ समय बिता पाते हैं लेकिन कुछ व्यापारी रविवार को ग्रामीण अंचलों से आने वाले ग्राहकों की सुविधा के लिए रविवार को दुकानें खोलना चाहते हैं
चैम्बर के एक पदाधिकारी ने बताया कि सभी बड़े शहरों में श्रम कानून का पालन करते हुए मॉल में दुकानें सातों दिन खुली रहती है अतः राजनांदगांव जिला प्रशासन को भी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में कार्यरत कर्मचारियों को एक दिन के साप्ताहिक अवकाश दिए जाने की शर्त पर साप्ताहिक बंद की अनिवार्यता समाप्त कर देना चाहिए, बहुत से ऐसे दुकानदार भी हैं जिनमे दुकान मालिक और उनके परिवार के सदस्य ही दुकान संचालित करते हैं अतः श्रम कानून का उल्लंघन भी नहीं होता है
एक अन्य व्यापारी के अनुसार प्रदेश में छत्तीसगढ़ दुकान एवं स्थापना पंजीयन अधिनियम 1958 (गुमास्ता अधिनियम) में व्यावहारिकता और बदले परिवेश में बहुत से संशोधन किये जाने की जरुरत है